मग़र याद रखना मैं आब हूँ बेरंग सा, और रूह बदरूह है तुम्हारी। मग़र याद रखना मैं आब हूँ बेरंग सा, और रूह बदरूह है तुम्हारी।
भाग्य भले ही माटी में मिले, मगर तारों से बातें कर। भाग्य भले ही माटी में मिले, मगर तारों से बातें कर।
मैं वही सिन्धु नदी जिसके किनारे तुमने, बैठकर वेद-ए-मुक़द्दस का हर इक मंत्र कहा मैं वही सिन्धु नदी जिसके किनारे तुमने, बैठकर वेद-ए-मुक़द्दस का हर इक मंत्र कहा
हमारे माथे की बिंदी है हमारी हिन्दी हमारे माथे की बिंदी है हमारी हिन्दी
गम ही तो है साथी जो हर मौसम में साथ निभाता है गम ही तो है साथी जो हर मौसम में साथ निभाता है
कुछ लोग बाक़ी हैं जो उर्दू बोल सकते हैं कुछ लोग बाक़ी हैं जो उर्दू बोल सकते हैं